प्रखंड में पीले सोने की तस्करी चरम पर, बालू माफियाओं की चांदी, आम लोगों की जेबों पर डाका
संवाददाता: चौपारण
प्रखंड में बालू तस्कर लगातार अपना पैर पसार कर तस्करी के कार्यों को अंजाम दे रहे हैं। बालू तस्करों के चाल-ढाल, संबंधित अधिकारियों एवं केंद्र व राज्य सरकार के भिन्न-भिन्न एजेंसियों के अधिकारीयों के मौनी बाबा बने रहने से जरूरतमंदों को बहुत अधिक मूल्य चुकाने को विवश होना पड़ रहा है। ऐसा लगता है कि बालू के अवैध कारोबारियों को अधिकारियों की मौन स्वीकृति प्राप्त है। बताते चलें कि धड़ल्ले से लंबे समय से यह सिलसिला निरंतर जारी है। एनजीटी के कारण जब बालु उठाव पर रोक लग जाती है तब भी बिहार से बालु आने का सिलसिला जारी रहता है। फर्क सिर्फ इतना है कि एक हजार रूपये कीमत का बालू चार हजार से अधिक दामों पर तस्कर बेचते हैं। बालू तस्करी में माफियाओं की चांदी और आम लोगो की जेबें ढीली हो रही है।खुलेआम एनजीटी के नियमों की धज्जियां उड़ाई जाती है।दिन के उजाले से लेकर,रात के अंधेरे में दर्जनों ट्रैक्टर पर अवैध बालू लोड कर चौपारण की तरफ जाने की फोटो-वीडियो वायरल होते रहती है। उसके बावजूद भी तस्करों पर एकाध अपवाद को छोड़कर किसी तरह की कोई कार्रवाई होती नहीं दिखती। समय-समय पर प्रशासनिक दबिश भी होती रही है लेकिन इन बालू माफियाओं के सर पर सफेदपोशों का हाथ होने के कारण अधिकारी भी मजबूर हो जाते हैं। इससे साफ जाहिर होता है कि माफियाओं की लॉबिंग बड़ी व पहुंच काफी उपर तक है और आम आदमी की पहुंच से बालू दूर होता जा रहा है। बालू दैनिक कार्यों की जरूरत की चीज है। ऐसे में सवाल उठना लाजमी है कि तमाम तरह के प्रशासनिक कार्रवाई की बात कहे जाने और किए जाने के बाद भी धड़ल्ले से बालू की तस्करी हो रही है। बड़ा सवाल यह है कि आखिर आम लोगों की जेबों पर डाका डालने वाले लोगों पर नकेल कसेगा कब और लोगों को राहत कैसे मिलेगी।